हीरापुर (धनबाद) : आज दिनांक 2 मार्च 2025 को लिंडसे क्लब हीरापुर धनबाद में “शिल्पे अनन्या” त्रैमासिक बंगला पत्रिका द्वारा तीन दिवसीय कार्यक्रम चतुर्थ लघु पत्रिका मेला सह सम्मेलन में आज तीसरे व समापन के दिन कार्यक्रम की शुरुआत सांस्कृतिक कार्यक्रम करिकेंद केंदुआ के डेफोडिल विद्यालय के छात्र – छात्राओं व शिक्षकों के द्वारा महिषासुर मर्दीनी पर नृत्या – नाटिका प्रस्तु की गई। इस अवसर पर आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रो. डॉ. डी. के. सेन, सचिव डॉ. काशी नाथ चटर्जी तथा सभी आयोजन समिति के सदस्यों द्वारा मेडल देकर 39 बच्चों को सम्मानित किया गया। इसके पश्चात आज के सत्र में मुख्य विषय “भाषाओं का विकाश आपसी सहयोग एवं समन्वय से संभव है” पर परिचर्चा का संचालचन डॉ. काशी नाथ चटर्जी द्वारा करते हुए कहा कि आज के समय में ये विषय अत्यंत महत्वपूर्ण है वर्तमान समय में समाज को तोड़ने के लिए विभिन्न हथियारों का इस्तेमाल किया जा रहा है इस परिस्थिति में उक्त विषय पर संवाद करना अत्यंत जरूरी है, इस लिटिल मैगजीन मेला में विभिन्न भाषा – भाषी के लोग सम्मिलित हुए है, हमें बार – बार संवाद करना होगा। उक्त विषय पर विषय प्रवेश करते हुए प्रख्यात हिंदी के लेखक श्री रणेंद्र जी द्वारा कहा कि भारत में भाषाओं का इतिहास बताते हुए कहा कि भाषाएं अलग – अलग नहीं है , उनके रूप बदलते है, भाषाओं में अंत: संबंध है, जो भारत को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। पुरुलिया पश्चिम बंगाल के सुशील महतो द्वारा कहा गया कि मातृ भाषा के लिए आंदोलन जरूरी है। उच्च शिक्षा में भी मातृ भाषा में पढ़ाई होनी चाहिए। पूर्व में मानभूम से पुरुलिया जिला मातृ भाषा के अधिकार ले कर अलग हुई है। झारखंड में स्थाई मातृ भाषा का चयन नहीं हुआ है। खोरठा विभाग के प्रो. दिनेश दिनमणि ने बताया झारखंड में 170 भाषाएं है, जिसमें 16 बोलचाल में है और 9 मान्यता प्राप्त है। जिन्हें स्कूल में कक्षा 8 से पढ़ाया जाता है। लघु पत्रिका का भाषा विकाश में महत्वपूर्ण योगदान है। किंतु मात्र भाषा में केवल एक लघु पत्रिका निकलती है। डॉ. दयामय राय द्वारा कहा गया कि क्षेत्रीय भाषाओं में साहित्य का चर्चा अनिवार्य है। इसके लिए सुप्रसिद्ध लेखक व साहित्यकार स्व. अजीत राय द्वारा बदलाव के लिए प्रयास किया गया था। सभी भाषा – भाषी सम्मान हो। इसके साथ श्री मनमोहन पाठक, तपन सरकार, व्रतीन देवधरिया, नारायण जी पत्रकार, प्रो. तन्मय वीर, श्रींजय मंडल व प्रो. ए. आई. खान द्वारा अपने विचार रखें। दूसरे सत्र में प्रो. अर्चना सिंहा स्मृति सम्मान 2025 का संचालन कर रहे है डॉ. काशी नाथ चटर्जी द्वारा कहा गया कि उक्त सम्मान के लिए समाज में उत्कृष्ट कार्य के लिए 7 व्यक्तियों चुना गया है। “शिल्पे अनन्या” पत्रिका के द्वारा प्रति वर्ष प्रो. अर्चना सिन्हा स्मृति सम्मान समारोह का आयोजित कर समाज में उत्कृष्ट कार्य के लिए दिया जाता है। प्रो. अर्चना सिन्हा आर. एस. मोड़ कॉलेज गोविंदपुर धनबाद के दर्शन शास्त्र के अध्यक्ष थी। उनके पति प्रो. डॉ. दीपक कुमार सेन अध्यक्ष (गणित विभाग) आर. एस. मोड़ कॉलेज गोविंदपुर धनबाद में रहे है।
वर्तमान के वे शिल्पे अनन्या पत्रिका के संपादक है। उनके द्वारा प्रति वर्ष समाज में उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मान दिया जाता है। प्रो. अर्चना सिन्हा की मृत्यु 7 अक्टूबर 2020 को कोविड के समय हो गया था। आज इसी के तहत आज 7 विशिष्ट व्यक्तियों को 1. डॉ. सुनिल सिन्हा स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए, 2. प्रो. राहुल देव मंडल व प्रो. अनसूया भरत नाट्यम के लिए 3. भोला नाथ राम शिक्षा व सामाजिक कार्य, 4. विकास कुमार ठाकुर सामाजिक कार्य, 5. तनुश्री गोराई लेखिका, 6. रीना भौमिक, 7. प्रदीप अधिकारी लेखक को प्रो. अर्चना सिन्हा स्मृति सम्मान प्रदान की गई। कविता पाठ और सांस्कृतिक कार्यक्रम के पश्चात तीन दिवसीय लघु पत्रिका मेला सह सम्मेलन का समापन किया गया। उक्त कार्यक्रम को सफलता पूर्वक करने के लिए आयोजन समिति के परेश नाथ बनर्जी, विश्वजीत गुप्ता, पारथोसेन गुप्ता, रवि सिंह, भोला नाथ राम, विकास कुमार ठाकुर, हेमंत कुमार जायसवाल ,रानी मिश्रा, शर्मिष्ठा सरकार, मधेश्वर नाथ भगत, रजनीकांत मिश्रा, मनोज मजूमदार, लीलामय गोस्वामी, सपन माजी, गायत्री आचार्जी, रतन सिन्हा, अभिनाश सिन्हा, बरनाली गुप्ता, मोमैत्री दासगुप्ता, मैत्री गुप्ता, विकाश गुप्ता, भोला नाथ सिंह, शमीम, लालमोहन आदि लोगों का सहयोग रहा।
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